समाज तथा चुनाविक प्रक्रिया (उद्वेश्य व कार्य)
यह कि राजस्थान राजबोहरा बावरी समाज सेवा संस्थान, सत्यनारायण मंदिर, चौडी पेडी, राजबोहरा घाट पुष्कर राज, अजमेर राज में केवल बावरी समाज के व्यक्ति ही इस संस्थान के पदाधिकारी बन सकते है उक्त बावरी जाति राज्य सरकार की अनुसुचित जाति वर्ग की सुची क्रमांक 09 पर उल्लेखित है एंव भविष्य में इस संस्थान में किसी प्रकार का निर्णय या निर्वाचन में केवल बावरी समाज के व्यक्तियों का ही अधिकार होगा।
यह कि उक्त राजस्थान राजबोहरा बावरी समाज सेवा संस्थान, सत्यनारायण मंदिर, चौडी पेडी, राजबोहरा घाट पुष्कर राज, अजमेर में प्रदेशाध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महासचिव, कोेषाध्यक्ष एंव इस प्रकार कुल 04 पदों पर द्विवार्षिक निर्वाचन प्रक्रिया से चूनाव सम्पन्न करवाये जायेगें।
यह कि प्रदेशाध्यक्ष अपने कार्यकारिणी में संभाग स्तर पर उपाध्यक्ष, संस्था का संरक्षक, प्रवक्ता, सचिव, उपकोषाध्यक्ष, संगठनमंत्री, प्रचार मंत्री एंव संस्था के कार्यकारिणी के सदस्य अपने विवेक एंव प्रमुख समाज बंधूओ से विचार विमर्श कर समस्त क्षेत्रो को प्रतिनिधित्व प्रदान करते हूये मनोनित करेगा जो संस्था के संचालन में निर्वाचित सदस्यों को सहयोग प्रदान करेगें।
यह कि समाज में उचित भागीदारी प्रदान करने एंव विकास में भागीदार बनने के लिये समस्त समाज बंधूओं से 500/- रूपये की सदस्यता शुल्क जमा करवाकर अपना सदस्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करेगें।
यह कि हर द्विवार्षिक चूनाव प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिये 5 सदस्यीय चूनाव समिति का गठन किया जावेगा वो निर्धारित अवधि तक निर्वाचन प्रणाली का निर्धारण करेगें उक्त अवधि के समाप्ति के एक सप्ताह पश्चात् चूनाव का आयोजन किया जावेगा।
यह कि समाज के निर्वाचित पदाधिकारी समाज की उन्नति एंव समाज में व्याप्त कुरीतियों के सम्बन्ध में एंव राजनैतिक गतिविधियों के सम्बन्ध में अपना योगदान प्रदान करेगें एंव समाज में शिक्षा का प्रसार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे मंदिर संचालन समिति का अध्यक्ष केवल मंदिर में क्या विकास होना है, क्या किया जाना चाहिए इस सम्बन्ध में समाज बंधूओं से विचार विमर्श करके अपने कार्य का निष्पादन करेगें निर्वाचित किसी भी पदाधिकारी द्वारा उक्त संस्थान में होने वाली आय का स्वयं के स्तर पर कोई खर्च नही करेगें।
प्रत्येक पदाधिकारी यदि प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा आयोजित मीटिंग में निरन्तर तीन बार अनुपस्थित रहता है तो तीसरी बार में स्वतः ही अपने पद से पदमुक्त माना जायेगा।
यह कि उक्त संस्था में प्राप्त समस्त आय का लेखा जोखा ऑनलाईन रहेगा, रिकॉर्ड संधारित करने वाला कर्मचारी साप्ताहिक समस्त आय एवं व्यय को ऑनलाईन अपडेट करेगा।
यह कि संस्था में प्रयोग में आने वाली रसीद बुके निर्धारित मात्रा में एंव क्रमवार प्रयोग में लाई जावेगी एंव जितनी भी रसीद बुके छपवाई गई है उसका रिकॉर्ड हर सूरत में संधारित किया जावेगा। रसीद बुके छपवाने एंव उनके प्रयोग करने वाले रिकॉर्ड रजिस्टर को समाज के प्रदेशाध्यक्ष एंव कोषाध्यक्ष द्वारा प्रमाणित किया जावेगा।
यह कि समाज की वेबसाइट बनाई जावेगी जिसकी समस्त समाज बंधूओ को जानकारी होगी कोई भी समाज बंधू ऑनलाईन समाज के आय व्यय को वेबसाइट के माध्यम से चेक कर सकता है।
यह कि उक्त संस्था में आने वाली समस्त आय व व्यय पर समाज के निर्वाचित प्रदेशाध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव एंव मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष का कोई नियंत्रण नही रहेगा।
यह कि संस्था में आने वाली राशि को अविलंब बैंक खाते में जमा करवाई जावेगी एंव अधिकतम जमा राशि ऑनलाईन प्राप्त करने का पेटीएम, फोन-पे, यूपीआई के माध्यम से किया जावेगा।
यह कि संस्था में जमा राशि में से केवल 02 हजार रूपये की राशि आवश्यकता पडने पर उसको ऑनलाईन खर्च की जा सकती है, जिसके सम्बन्ध में खर्च राशि का बिल व बाउचर हर सुरत में संधारित किया जायेगा।
यह कि संस्था में जमा राशि को समाज हित में प्रयोग करने के लिये एक 20 सदस्यीय कमेटी गठित की जावेगी जिसमें समाज के समस्त जिलों के प्रतिनिधियों के अलावा समाज के समस्त प्रबुद्व व्यक्तियों को सम्मिलित किया जावेगा उक्त समिति में निर्वाचित प्रदेशाध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव, मात्र एक सदस्य रहेगें। इनके द्वारा राशि किस मद में खर्च की जावेगी उसका निर्णय लिया जावेगा।
कोई भी समाज के निर्वाचित पदाधिकारी उक्त संस्था की राशि से किसी भी प्रकार की राजनैतिक भागीदारी, अन्य व्यक्तिगत सामाजिक हिस्सेदारी में खर्च नही करेगा।
उक्त संस्था में जमा राशि को समय समय पर खर्च करने के लिये गठित 20 सदस्यीय कमेटी मीटिंग आयोजित करके उक्त राशि में से उक्त मंदिर के विकास या समाज के विभिन्न स्थानों पर निर्माणाधीन बच्चों के छात्रावास या शिक्षा के विकास में उक्त राशि का प्रयोग करने का निर्णय लेगें जिस आधार पर राशि सम्बन्धित मद में खर्च की जावेगी।
यह कि संस्था में प्राप्त राशि को किसी निजी हित में न लगाकर समाज के बच्चों की शिक्षा के हित में लगाने का हमेशा प्रयास किया जावेगा एंव मन्दिर विकास में राशि प्रयोग की जावेगी।
यह कि संस्था में प्राप्त राशि को किसी निजी हित में कार्य न करके समाज के बच्चों की शिक्षा के हित में हमेशा प्रयासरत रहेगी एंव जो राषि समाज द्वारा दान दी जावेगी वह मन्दिर विकास में राशि प्रयोग की जावेगी।